Ishq gazal

मुब्तिला इस इश्क़ में जब जब ज़माना हो गया।
कोई लैला मजनू कोई हीर रांझा हो गया।

जान दे दूंगा में अपनी जान को वादा रहा।
मुझको मेरी जान का गर एक इशारा हो गया।

आजकल इजहारे दिल होता है यारो फोन पर।
इश्क़ का दस्तूर अब कितना निराला हो गया।

वरगलाया उनकी सखियों ने उन्हे इतना जनाब।
मानिंदे तलवार एक कोमल सा लहजा हो गया।

इस क़दर रुलवा गई वो मुझको यादे बेवफा
अशको से सेहराब मेरे सारा सेहरा हो गया।

आज बरसो बाद हमको बेवफा आए नज़र।
और ज़ख्मे दिल हरा फिर से हमारा हो गया।

दिल गया नींदे गईं चैनो सुकुं सारा गया।
इश्क़ में तुमको शजर कितना खसारा हो गया।
SHAJAR ABBAS ZAIDI

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