gazal

मेरे हबीब का दीदार हो गया होगा
शिफह याफ्ता बीमार हो गया होगा

हमारी याद उसे आई होगी जब जब भी 
यक़ी है हमको वो गमख्वार हो गया होगा।

तुम्हारे दीद की खातिर ऐ लाईबा कोई।
घर अपना छोड़ के ज़वार हो गया होगा।

जहाँ पा लाईबा ने रखे होंगें अपने कदम।
इलाका सारा चमकदार हो गया होगा।

शहर से करते हुए कूच ये नही सोचा।
दिल एक गरीब का मिस्मार हो गया होगा।

है ये ख्याल मेरा हिज्र भा गया होगा।
हसीन और मेरा दिलदार हो गया होगा।

वो मेरी ख्वाब में तशरीफ यूँ नही लाती।
उसे किसी से सुनो प्यार हो गया होगा।

सुनो सहेलियों ने वरगलाया होगा उसे।
यूँ लहजा लहजाये तलवार हो गया होगा।

जो हमने तुमने लगया था एक मौहब्बत का।
शजर वो अपना समर दार हो गया होगा।

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