GAZAL EID KE DIN

खुशनुमा होगा मेरा सारा शहर ईद के दिन।
और फिर जाएंगे हमसाए के घर ईद के दिन।

ए खुदा रहमो करम रखना मेरे हमदम पर।
उसको लग जाए ना दुनिया की नज़र ईद के दिन।

मुझसे कहने लगी में तुमसे नहीं बोलूंगी।
आप जो घर ना मेरे आए अगर ईद के दिन।

जब कहा मैंने लगा लो गले वो कहने लगी।
मै लगाऊंगी गले तुमको शजर ईद के दिन।

जो था मजी में किया आओ करो वादा वफा।
और मिलो आके गले लख्ते जिगर ईद के दिन।

बाद मिलने के गले हमने जो बोसे का कहा।
बोली अस्तगफिरुल्ला तौबा शजर ईद के दिन।

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