gazal

मेरी तकदीर जगमगाई है
जब से कॉलज वो लड़की आई है। 
   
मेने लिखी है शान में उसकी
ये ग़ज़ल जो तुमे सुनाई है।

वो है सादी सी और नाज़ुक सी
मेरे दिल को अदा ये भाई है।

सब है सोबत का मुझ पा उसकी असर
मुझ में तब्दीली ये जो आइ है।

ओझल एक पल न हो यूँ कमरे में
उसकी तस्वीर एक लगाई है।

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