Gazal on January 16, 2020 Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps वो आ रही है किताबे लगाए सीने से तमाम शहर खड़ा है बड़े करीने से। वो गोरे पाँव वो कॉलेज की सीढ़ियों का नसीब उतर रही है परी आसमां के ज़ीने से । वो एक रोज़ जो कॉलेज न आए ऐसा लगे के जैसे चाँद न निकला कई महीने से। Comments UnknownJanuary 16, 2020 at 4:11 AMWahh umda bro ReplyDeleteRepliesReplyAdd commentLoad more... Post a Comment
Wahh umda bro
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