gazal

है जिंदगी का अहम ये किस्सा
जो तुम को यारो बता रहे है।
गए जो कॉलेज जो गुज़रा हम पर
वो दास्ताँ अब सुना रहे है।


गए थे कॉलेज था पहला दिन वो
दिखी वहा पा हमें जो लड़की
पड़ी निगाहे हमारी उसपा
उसे ही बस देखे जा रहे है ।


जब हमने कॉलेज में देखा उसको
लगा के जेसे कोई परी है
यही सबब है सनम को अपनी
भुला जो एक पल न पा रहे है।


जहाँ ज़मी पा कदम वो रखे
हमें ये मंजर ही दिख रहा है
वो चूमने को जगह फ़रिश्ते
फलक से तश्रीफ़ ला रहे है


है चेहरा जेसे गुलाब कोई
है लब के जेसे दो तितलियाँ हो
वो देके जुम्बिश लबों को अपने
चमन की जीनत बड़ा रहे है

है जुल्फे काली घटा के मानिंद
है आंखे उसमे चमकते जुगनू
अँधेरे ज़ुल्फो से छाये गर तो
दे हम को जुगनू ज़िया रहे है


है एक हिस्सा वो मेरे दिल का
ए मेरे मालिक ख्याल रखना
दुआएं करने यही मुसलसल
खुदाया मस्जिद में आ रहे है।


कभी वो नज़रे मिला रहे है
कभी वो नजरे झुका रहे है
उन्हें है हम से बहुत मोहबत
मगर वो हमसे छुपा रहे है।


हम उनसे कहते है इश्क करलो
वो ज़ाया कहती हैं और फिर हम
ये है इबादत ये है इबादत
मुसलसल उनको बता रहे है।


हमें पता है के है वो जिद्दी
हाँ थोडा थोडा शर्रती भी
हमें यकी है वो मानेगी बस
युही तो उसको मना रहे है।


अगर मोहबत नही है उनको
ज़रा ये वाज़े करे खुदरा
क्यों फिर मुसलसल हमें पलटकर
बताओ वो देखे जा रहे है।

वो हमसे कहते है कुछ नही है
है सब जहाँ की ये जाया रस्मे
तो फिर वो खाबो में आके सोचो
क्यों जाया रस्मे निभा रहे है।

यकीन आया मेरे जिगर को
वो मुझ से करती है प्यार सच में
जब उसकी आँखों से टपके आंसू
कहा के हम घर पा जा रहे है।


गुरूर थी वो मेरा में उसका
था यूँ हमारा अनोखा रिश्ता
हाँ लेला मजनू की तरहां हम भी
ज़माना था के पिया रहे है।


में मुताज़िर हूँ कब आयेगी वो
कब उसका दीदार में करूगा
बिछा के रहो में नज़रे उनकी
समय को अपने बिता रहे है।


वो लाइब है वो महलका है।
शजर की मांगी हुई दुआ है।
खुदाया लिखेगा मेरे हक में
दुआ लबों पा सजा रहे हैं।

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